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The Impact of One Nation, One Election: Benefits, Challenges, and Implications || In Hindi

 One Nation, One Election: Benefits, Challenges, and Implications


भारत एक विशाल लोकतांत्रिक देश है, जहाँ हर साल किसी न किसी राज्य में चुनाव होते रहते हैं। इससे न सिर्फ आर्थिक खर्च बढ़ता है, बल्कि शासन और विकास की प्रक्रिया भी प्रभावित होती है। "One Nation, One Election" का प्रस्ताव इसी चुनौती को संबोधित करने की दिशा में है। इसका उद्देश्य पूरे देश में एक साथ चुनाव कराकर, समय और संसाधनों की बचत करना है। आइए, इस विचार के लाभ, चुनौतियाँ और इसके प्रभावों पर चर्चा करें।

The Impact of One Nation, One Election: Benefits, Challenges, and Implications || In Hindi



Ramnath Kovind समिति और One Nation, One Election पर विचार:


सितंबर 2023 में, A High-Level Committee (HLC)  का गठन किया गया, जिसकी अध्यक्षता भारत के पूर्व राष्ट्रपति Ramnath Kovind कर रहे हैं। इस समिति का उद्देश्य  Lok Sabha, State Legislative Assemblies, और सभी राज्यों के local bodies के लिए एक साथ चुनाव कराने की संभावना का अध्ययन करना है। HLC ने राजनीतिक दलों, Law Commission, और अन्य समूहों से इस प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया मांगी है, ताकि इस विचार को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ा जा सके। 




Background of this story

भारत में Lok Sabha और State Legislative Assemblies  के चुनाव शुरुआत में एक साथ कराए जाते थे। 1952, 1957, 1962 और 1967 के पहले चार general election cycles में, Lok Sabha और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुए थे। हालांकि, इसके बाद, कई बार Lok Sabha का समय से पहले भंग होना और राज्यों की विधानसभाओं का भी समय से पहले भंग होना, चुनावों की समय-सारणी में बदलाव का कारण बना। Lok Sabha का सात बार समय से पहले भंग होना और राज्यों की विधानसभाओं का अलग-अलग समय पर भंग होना इसका मुख्य कारण था। 


2019 के आम चुनावों में केवल चार राज्यों के विधानसभा चुनाव  Lok Sabha  चुनावों के साथ हुए थे। Simultaneous elections  का विचार पहले भी उठ चुका है, जैसे कि 1982 में Election Commission of India और 1999 में Law Commission द्वारा इसे लेकर चर्चा की गई थी | One Nation, One Election का पुनः सुझाव मौजूदा संसाधनों का सही उपयोग करने और चुनावी खर्चों को कम करने की दिशा में है, लेकिन इसे लागू करना प्रशासनिक और संवैधानिक चुनौतियों से भरा है।

What is the case for simultaneous elections?  एक साथ चुनाव का मामला क्या है?

Simultaneous elections की desirability को कई perspectives से समझा जा सकता है, जैसे कि cost, governance, administrative convenience, और social cohesion. सबसे पहले, यह अनुमान लगाया गया है कि Lok Sabha के general elections को आयोजित करने की cost Central Government के लिए लगभग ₹4,000 crore है। इसी प्रकार, प्रत्येक State assembly election भी उस राज्य के आकार के अनुसार काफी पैसे खर्च करता है। यह तो government का official expenditure है, लेकिन parties और candidates द्वारा किया गया खर्च कई गुना ज्यादा होता है। Simultaneous elections के माध्यम से इन costs को कम किया जा सकता है।

Secondly, हर साल कम से कम 5-6 State elections होते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि political parties, जिसमें Ministers भी शामिल होते हैं, 'permanent campaign' mode में रहते हैं, जो policy making और governance में बाधा डालता है। इसके अलावा, election process के दौरान लागू किया जाने वाला Model Code of Conduct आमतौर पर 45-60 दिनों तक चलता है, जिसमें Centre और संबंधित State governments द्वारा कोई नई schemes या projects की घोषणा नहीं की जा सकती।


Third, election period के दौरान districts की administrative machinery धीमी हो जाती है क्योंकि primary focus elections के आयोजन पर होता है। इसके साथ ही, paramilitary forces को उनके तैनात स्थानों से हटाकर चुनावी राज्य में smooth conduct of elections के लिए तैनात किया जाता है। हर साल frequent elections होने से administrative efficiency पर भी प्रभाव पड़ता है।

Lastly, लेकिन बहुत महत्वपूर्ण बात यह है कि हर साल विभिन्न States में होने वाले high-stake elections के कारण सभी parties द्वारा polarising campaigns चलाई जाती हैं ताकि वे चुनाव जीत सकें। पिछले दशक में यह trend और भी बढ़ गया है, खासकर social media के आगमन के साथ, जिससे हमारे multi-religious और multilingual देश में दरारें और गहरी हो गई हैं।








What are the challenges involved?  इसमें क्या चुनौतियाँ शामिल हैं?

Simultaneous elections के कई tangible benefits हैं, लेकिन इसके साथ ही democratic और constitutional perspectives से जुड़े कई महत्वपूर्ण issues भी हैं। भारत एक federal देश है, जहां विभिन्न States के unique मुद्दे होते हैं, जो एक-दूसरे से काफी अलग होते हैं। Union और State governments के पास Constitution के तहत अपने respective powers और responsibilities होती हैं। अगर Lok Sabha और सभी State assemblies के elections एक साथ कराए जाते हैं, तो इससे national issues regional और State-specific issues पर हावी हो जाएंगे। इस व्यवस्था से national political parties को regional parties पर significant advantage मिलेगा, जो हमारे देश की federal spirit के लिए हानिकारक होगा, जिसे Constitution के basic structure के रूप में घोषित किया गया है।


Elections सरकारों के लिए एक effective feedback mechanism के रूप में भी काम करते हैं। कई Central और State governments ने पिछले समय में electoral feedback के आधार पर policies शुरू की हैं। अगर elections सिर्फ पांच साल में एक बार होंगे, तो यह process प्रभावित हो सकता है।


Federal और democratic issues के अलावा, simultaneous polls के लिए constitutional amendments की भी आवश्यकता होगी। भारत एक parliamentary democracy है, जहां Centre और State governments को क्रमशः Lok Sabha और Legislative Assembly में majority का समर्थन प्राप्त करना जरूरी है। इन houses की अवधि पांच साल की होती है, लेकिन अगर सत्ता में मौजूद पार्टी या coalition majority खो देती है और कोई alternative government नहीं बन पाती है, तो इसे पहले भी dissolve किया जा सकता है। इसके अलावा, सत्ता में मौजूद council of ministers भी early election के लिए house को dissolve कर सकते हैं। साथ ही, Article 356 के तहत President’s rule लागू करके State legislative assemblies को dissolve किया जा सकता है। इसलिए, Lok Sabha और State assemblies के लिए पांच साल की fixed tenure की आवश्यकता होगी, जिसके लिए Articles 83, 85, 172 और 174, जो Lok Sabha और Legislative assemblies की duration और dissolution से संबंधित हैं, में constitutional amendments की जरूरत होगी। इसके साथ ही Article 356 में भी amendment की आवश्यकता होगी।

What are the various recommendations? विभिन्न सिफ़ारिशें क्या हैं?

Law Commission (1999) और Parliamentary Standing Committee on Personnel, Public Grievances, Law and Justice (2015) की reports में simultaneous elections के मुद्दे पर चर्चा की गई है। Law Commission ने 2018 में एक draft report भी प्रस्तुत की थी। इन चर्चाओं और सिफारिशों के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं — (a) Lok Sabha और लगभग आधी State assemblies के elections को एक cycle में club किया जा सकता है, जबकि बाकी State assembly elections को दो और आधे साल बाद दूसरे cycle में आयोजित किया जा सकता है। इसके लिए existing assemblies की tenures को curtail या extend करना होगा, जिसके लिए Constitution और Representation of the People Act, 1951 में amendments की आवश्यकता होगी; (b) Lok Sabha या Legislative Assembly में कोई भी 'no-confidence motion' अनिवार्य रूप से एक 'confidence motion' के साथ होना चाहिए, ताकि alternative government का गठन हो सके। यदि किसी अपरिहार्य कारण से Lok Sabha या State Assembly को premature dissolve करना पड़े, तो newly constituted House की अवधि original House की शेष अवधि तक ही सीमित होनी चाहिए। यह MPs और MLAs को premature dissolution के लिए दबाव बनाने से रोकने के लिए काम करेगा और इसके बजाय उन्हें feasible realignments के माध्यम से alternative government बनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा; (c) death, resignation, या disqualification की वजह से necessitated bye-elections को एक वर्ष में एक बार club करके आयोजित किया जा सकता है।


यह उल्लेखनीय है कि Parliamentary democracies जैसे South Africa, Sweden, और Germany में उनके legislatures की fixed tenures होती हैं। South Africa में National Assembly और provincial legislatures के elections हर पांच साल में एक साथ होते हैं, और देश के President को National Assembly द्वारा चुना जाता है। Sweden के Prime Minister और Germany के Chancellor को उनके respective legislatures द्वारा हर चार साल में चुना जाता है। German Chancellor के खिलाफ lack of confidence केवल एक उत्तराधिकारी को चुनकर ही प्रस्तावित किया जा सकता है।

 One Nation, One Election के लाभ:


1. चुनावी खर्च में कमी: भारत में चुनावी प्रक्रिया अत्यधिक महंगी है। यदि एक साथ चुनाव होते हैं, तो चुनावी खर्च में भारी कमी आ सकती है। एक ही समय पर संसाधनों और सुरक्षा व्यवस्था का बेहतर प्रबंधन हो सकता है।


2. सरकार की स्थिरता: लगातार चुनाव होने से सरकार का ध्यान बार-बार चुनाव प्रचार की ओर केंद्रित रहता है, जिससे नीति निर्माण प्रभावित होता है। एक साथ चुनाव होने से सरकार को पाँच वर्षों के लिए स्थिर शासन का मौका मिलेगा।


3. विकास में गति: जब लगातार चुनाव न हों, तो सरकारें बिना किसी राजनीतिक दबाव के विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं। इससे लंबे समय तक विकास योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकता है।


4. नागरिक भागीदारी में सुधार: एक साथ चुनाव होने से नागरिकों का चुनावी प्रक्रिया में उत्साह और भागीदारी बढ़ सकती है। उन्हें हर साल मतदान के लिए नहीं जाना पड़ेगा, जिससे चुनावों के प्रति लोगों की रुचि बढ़ेगी।


चुनौतियाँ और सीमाएँ:


1. क्षेत्रीय दलों की भूमिका कम होना: भारत के विभिन्न राज्यों में क्षेत्रीय दलों की बड़ी भूमिका है। यदि One Nation, One Election लागू होता है, तो यह छोटे और क्षेत्रीय दलों की पहचान को कमजोर कर सकता है, क्योंकि राष्ट्रीय मुद्दे अधिक महत्वपूर्ण हो सकते हैं।


2. संवैधानिक चुनौतियाँ: मौजूदा संविधान के अनुसार, केंद्र और राज्यों के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। इसे बदलने के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता होगी, जो राजनीतिक सहमति के बिना मुश्किल हो सकता है।


3. लॉजिस्टिक चुनौतियाँ: पूरे देश में एक साथ चुनाव कराना एक बड़ी प्रशासनिक और लॉजिस्टिक चुनौती है। इसे सफलतापूर्वक लागू करने के लिए भारी संख्या में चुनावी कर्मियों, सुरक्षा बलों और अन्य संसाधनों की आवश्यकता होगी।


4. संविधान के संघीय ढांचे पर असर: भारत का संविधान संघीय ढांचे पर आधारित है, जहाँ केंद्र और राज्यों के चुनाव अलग-अलग होते हैं। One Nation, One Election से इस ढांचे पर असर पड़ सकता है, और राज्यों की स्वायत्तता कमजोर हो सकती है।


 One Nation, One Election के प्रभाव:


1. राजनीतिक संवाद में परिवर्तन: यदि देश भर में एक साथ चुनाव होते हैं, तो राजनीतिक संवाद और प्रचार का तरीका बदल जाएगा। राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों का संतुलन बनाना मुश्किल हो सकता है, और इससे क्षेत्रीय पहचान कमजोर हो सकती है।


2. चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता: एक साथ चुनाव होने से चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होगा। इसके लिए Election Commission को बड़ी ज़िम्मेदारी निभानी होगी।


3. वोटरों पर प्रभाव: एक साथ चुनाव होने से मतदाताओं पर अधिक दबाव हो सकता है। उन्हें एक ही समय पर केंद्र और राज्य के लिए वोट करना होगा, जिससे उनका निर्णय प्रभावित हो सकता है।


निष्कर्ष:


"One Nation, One Election" एक क्रांतिकारी विचार है जो भारत की चुनावी प्रक्रिया में बड़ा बदलाव ला सकता है। इसके लाभ निश्चित रूप से हैं, जैसे खर्च में कमी, सरकार की स्थिरता और विकास में सुधार। लेकिन साथ ही, इसे लागू करने में कई संवैधानिक और प्रशासनिक चुनौतियाँ भी सामने आएंगी। इसके प्रभावों को ध्यान में रखते हुए, इस पर व्यापक चर्चा और सहमति आवश्यक है। 


"One Nation, One Election" को सफल बनाने के लिए एक मजबूत और पारदर्शी प्रणाली की आवश्यकता होगी, जो भारत के लोकतांत्रिक और संघीय ढांचे का सम्मान करे।



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